पहले शाहिद अफरीदी को राहुल गाँधी लगे ‘सकारात्मक’, अब सैम पित्रोदा ने पाकिस्तान को बताया ‘घर जैसा’: कांग्रेस की ‘मोहब्बत की दुकान’ पर उठा नया विवाद

Sanskriti Vani
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हाल ही में कांग्रेस और उसके नेताओं के पाकिस्तान से जुड़े बयानों ने भारतीय राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है। पहले पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने राहुल गांधी को ‘सकारात्मक’ बताया, और अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा ने पाकिस्तान को ‘घर जैसा’ कहकर विवाद खड़ा कर दिया है। भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उनकी “मोहब्बत की दुकान” अब “आतंकिस्तान की ब्रांडिंग” का मंच बन गई है। इस पूरे घटनाक्रम ने राष्ट्रीय राजनीति, चुनावी रणनीतियों और भारत-पाक संबंधों पर बड़ा असर डाला है। आइए, इस मुद्दे की गहराई में जाएँ





1. अफरीदी का राहुल गांधी पर बयान और शुरुआत विवाद की

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी अपने बयानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने राहुल गांधी की तारीफ करते हुए उन्हें “सकारात्मक नेता” बताया। अफरीदी का कहना था कि राहुल युवाओं में लोकप्रिय हैं और उनके पास भारत के लिए एक नई सोच है। यह बयान ऐसे समय आया जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। इस टिप्पणी के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान से प्रशंसा पाने पर गर्व कर रही है। विपक्ष का तर्क है कि कांग्रेस नेताओं के लिए पाकिस्तान से तारीफ आना कोई उपलब्धि नहीं बल्कि एक चिंता का विषय होना चाहिए। भाजपा ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और गौरव से जोड़कर जनता के सामने पेश किया। इस तरह अफरीदी के बयान ने एक नई राजनीतिक बहस की नींव रख दी।


2. सैम पित्रोदा का ‘घर जैसा’ पाकिस्तान बयान

शाहिद अफरीदी के बयान का असर खत्म भी नहीं हुआ था कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने पाकिस्तान को “घर जैसा” कहकर माहौल और गर्मा दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें पाकिस्तान में जाना अपने घर जैसा लगता है क्योंकि वहाँ के लोग भी भारतीयों की तरह ही दिखते और रहते हैं। यह बयान मीडिया और सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया। भाजपा ने तुरंत इसे कांग्रेस की “मोहब्बत की दुकान” की असलियत बताया और कहा कि कांग्रेस देश के दुश्मनों को खुश करने के लिए ऐसे बयान देती है। हालांकि, कांग्रेस ने पित्रोदा के बयान को निजी राय बताकर इससे पल्ला झाड़ लिया।


3. भाजपा का हमला और कांग्रेस की घेराबंदी

भाजपा ने इन दोनों घटनाओं को जोड़ते हुए कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि यह सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि कांग्रेस की रणनीति है कि वह पाकिस्तान के प्रति नरमी दिखाकर अपनी “लिबरल छवि” बनाना चाहती है। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि जब देश आतंकवाद से जूझ रहा है और सीमा पर सैनिक शहीद हो रहे हैं, तब पाकिस्तान को “घर” बताना देशभक्ति का अपमान है। प्रधानमंत्री मोदी और अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को चुनावी मंचों पर उठाकर कांग्रेस को घेरा। इससे साफ है कि भाजपा इसे आने वाले चुनाव में एक बड़े नैरेटिव के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है।


4. कांग्रेस की सफाई और राजनीतिक संकट

कांग्रेस ने इस विवाद से दूरी बनाने की कोशिश की। पार्टी नेताओं ने कहा कि अफरीदी का बयान कांग्रेस से जुड़ा नहीं है और पित्रोदा की टिप्पणी भी व्यक्तिगत राय है। हालांकि, विपक्ष और जनता इसे कांग्रेस की सोच से जोड़कर देख रही है। कांग्रेस पहले ही “भारत जोड़ो यात्रा” और “मोहब्बत की दुकान” जैसे अभियानों के जरिए एक सकारात्मक छवि गढ़ने की कोशिश कर रही थी। लेकिन पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दे पर दिए गए बयानों ने उस छवि को धक्का पहुँचाया। कांग्रेस के रणनीतिकार अब इस संकट से बाहर निकलने के लिए बयानबाज़ी में संयम और मुद्दा बदलने की रणनीति बना रहे हैं।


5. ‘मोहब्बत की दुकान’ बनाम ‘आतंकिस्तान की ब्रांडिंग’

भाजपा ने कांग्रेस की “मोहब्बत की दुकान” पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि यह अभियान वास्तव में पाकिस्तान और आतंकवाद को सामान्य बनाने की कोशिश है। भाजपा नेताओं ने इसे “आतंकिस्तान की ब्रांडिंग” करार दिया। उनका कहना है कि जब देश को पाकिस्तान से बार-बार चोट लगी है, तब कांग्रेस नेताओं को वहाँ “घर जैसा” क्यों लगता है? इस सवाल ने जनता के बीच गहरी बहस छेड़ दी है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा इस नैरेटिव को लगातार आगे बढ़ाएगी, जिससे कांग्रेस की चुनावी योजनाओं पर असर पड़ सकता है।


6. भारत-पाक संबंधों की संवेदनशीलता

भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं। 1947 से लेकर आज तक कई युद्ध, आतंकवादी घटनाएँ और सीमा पर संघर्ष दोनों देशों के रिश्तों को जटिल बनाते रहे हैं। मुंबई हमला (26/11), पुलवामा हमला और कारगिल युद्ध जैसी घटनाएँ भारतीय जनता के मन में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा भरती हैं। ऐसे में जब कोई नेता पाकिस्तान के पक्ष में टिप्पणी करता है, तो यह आम लोगों की भावनाओं को चोट पहुँचाता है। कांग्रेस नेताओं के हालिया बयानों ने यही असर डाला है और यही कारण है कि भाजपा इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है।


7. चुनावी राजनीति पर असर

भारत में हर बड़ा विवाद चुनावी राजनीति को प्रभावित करता है। भाजपा जानती है कि पाकिस्तान का मुद्दा जनता की भावनाओं से जुड़ा है। इसलिए वह इसे चुनाव में राष्ट्रवाद बनाम नरमी की लड़ाई के रूप में पेश कर रही है। कांग्रेस को भी यह समझ है कि इस विवाद से उसकी छवि को नुकसान हो सकता है, खासकर उन राज्यों में जहाँ राष्ट्रवाद का मुद्दा निर्णायक होता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर कांग्रेस ने इस विवाद को संभालने में देर की, तो यह चुनाव में बड़े नुकसान का कारण बन सकता है।


8. सोशल मीडिया पर बहस और जनभावना

सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। ट्विटर (X), फेसबुक और यूट्यूब पर भाजपा समर्थक लगातार कांग्रेस पर तंज कस रहे हैं और मीम्स बना रहे हैं। वहीं कांग्रेस समर्थक इसे भाजपा की साजिश बताकर बचाव कर रहे हैं। लेकिन आम जनता के बीच यह सवाल ज़रूर उठ रहा है कि आखिर कांग्रेस नेताओं को पाकिस्तान इतना प्रिय क्यों लगता है। सोशल मीडिया का असर आज की राजनीति में बहुत गहरा है, और यही वजह है कि इस विवाद ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।


9. अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और कूटनीतिक असर

भारत-पाक रिश्तों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नज़र रखी जाती है। जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पाकिस्तान की तारीफ करते हैं, तो इसका असर वैश्विक स्तर पर भी पड़ता है। दुनिया को यह संदेश जाता है कि भारत में एक बड़ा राजनीतिक दल पाकिस्तान को दुश्मन नहीं, बल्कि मित्र के रूप में देखता है। इससे भारत की कूटनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है, खासकर जब वह पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजक देश के रूप में पेश करना चाहता है। यही कारण है कि भाजपा इसे केवल चुनावी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बना रही है।


10. निष्कर्ष: कांग्रेस की चुनौती और जनता का फैसला

अफरीदी और पित्रोदा के बयानों ने कांग्रेस के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। पार्टी को अब यह साबित करना होगा कि वह पाकिस्तान समर्थक नहीं, बल्कि भारत हितैषी है। भाजपा इस मुद्दे को लंबे समय तक उठाती रहेगी और कांग्रेस को रक्षात्मक मोड में डाल देगी। जनता के सामने अब यह सवाल है कि क्या कांग्रेस की “मोहब्बत की दुकान” वास्तव में देश की एकता और भाईचारे के लिए है, या फिर यह पाकिस्तान के लिए सहानुभूति जुटाने का प्रयास है। आने वाले चुनाव में जनता का फैसला ही तय करेगा कि इन बयानों का असर कितना गहरा पड़ा।


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