(बिहार – 19 सितम्बर 2025)
भोजपुर जिले के बिहिया थाना क्षेत्र से पुलिस ने एक ऐसे शिक्षक को गिरफ्तार किया है, जो बीते 20 वर्षों से फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी विद्यालय में नौकरी कर रहा था। निगरानी विभाग की जांच में पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। अब पुलिस पूछताछ कर रही है और इस नेटवर्क में शामिल अन्य लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
गिरफ्तारी की पूरी कहानी
भोजपुर जिले के बिहिया थाना पुलिस ने बुधवार को सुरेश प्रसाद नामक शिक्षक को पकड़ा। वह चकरही गांव का निवासी है और वर्ष 2005 से महुआंव गांव के प्राथमिक विद्यालय में पंचायत नियोजन शिक्षक के रूप में योगदान दे रहा था। बाद में सरकारी प्रावधानों के तहत उसे प्रखंड शिक्षक का दर्जा मिल गया।
निगरानी विभाग को मिली शिकायत
कुछ समय पहले निगरानी विभाग को शिकायत मिली कि सुरेश प्रसाद द्वारा प्रस्तुत शैक्षणिक प्रमाणपत्र संदिग्ध हैं। शिकायत के आधार पर विभाग ने सभी दस्तावेजों की जांच कराई।
फर्जी प्रमाणपत्र का खुलासा
जांच में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। सुरेश प्रसाद ने इंटर के अंकपत्र में मूल 481 अंकों को फर्जीवाड़ा करके 698 अंक दर्शा दिए थे। इसी आधार पर उसने शिक्षक की नौकरी हासिल की थी।
प्राथमिकी दर्ज और पुलिस की कार्रवाई
निगरानी विभाग, पटना के इंस्पेक्टर अरुण पासवान ने 15 मई 2025 को बिहिया थाना में इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई। तब से पुलिस लगातार सुरेश प्रसाद की तलाश में थी और आखिरकार बुधवार को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
पूछताछ में जुटी पुलिस
गिरफ्तारी के बाद पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि सुरेश प्रसाद ने ये फर्जी प्रमाणपत्र कहां से बनवाए और इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे। पूरा नेटवर्क खंगाला जा रहा है ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े में शामिल अन्य आरोपियों को भी पकड़ा जा सके।
20 साल तक कैसे चला खेल
पुलिस और निगरानी विभाग के सूत्रों का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं हो सकता। इतनी लंबी अवधि तक फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करना स्थानीय स्तर पर लापरवाही और मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
उच्च न्यायालय की भूमिका
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने इस मामले की जांच की थी। इसके बाद ही पूरे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो पाया।
स्थानीय प्रशासन की चिंता
इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि समय रहते दस्तावेजों की जांच की जाती, तो यह मामला 20 वर्षों तक नहीं चलता।
मुख्य बिंदु (Highlights)
- फर्जी प्रमाणपत्र पर शिक्षक गिरफ्तार
- 20 सालों से कर रहा था नौकरी
- इंटर के अंकपत्र में अंक बढ़ाकर नौकरी हासिल की
- निगरानी विभाग की जांच में फर्जीवाड़ा उजागर
- पुलिस अब पूरे नेटवर्क की जांच में जुटी
इस तरह की खबरें न केवल शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करती हैं, बल्कि सरकारी विभागों में समय-समय पर दस्तावेज सत्यापन के महत्व को भी सामने लाती है
