बिहार विधानसभा चुनाव 1967: जब निर्दलीय उम्मीदवार ने सीएम को हराया और खुद बन गए मुख्यमंत्री

Sanskriti Vani
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बिहार विधानसभा चुनाव 1967: जब निर्दलीय उम्मीदवार ने सीएम को हराया और खुद बन गए मुख्यमंत्री

पटना से उठी हलचल

साल 1967 में हुए चौथे बिहार विधानसभा चुनाव ने राज्य की राजनीति को नई दिशा दी। इस चुनाव में पटना सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार महामाया प्रसाद सिन्हा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कृष्ण बल्लभ सहाय को हराकर सबको चौंका दिया।

कांग्रेस रही सबसे बड़ी पार्टी, लेकिन बहुमत से दूर

इस चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सीटें तो हासिल कीं, लेकिन पूर्ण बहुमत से दूर रह गई। जनता के बीच कांग्रेस के प्रति असंतोष साफ दिखने लगा था, और विपक्षी दलों को एकजुट होने का मौका मिल गया।

विपक्षी गठबंधन ने बदला समीकरण

कांग्रेस की कमजोरी का फायदा उठाते हुए विपक्षी दलों ने मिलकर संयुक्त विधायक दल का गठन किया। इस गठबंधन ने महामाया प्रसाद सिन्हा को नेता चुना और वे बिहार के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।

सत्ता परिवर्तन का ऐतिहासिक क्षण

महामाया प्रसाद सिन्हा का मुख्यमंत्री बनना सिर्फ एक राजनीतिक बदलाव नहीं था, बल्कि यह भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत थी। इस चुनाव ने साबित किया कि कांग्रेस अजेय नहीं है और जनता विकल्प चुनने में सक्षम है।

इतिहास का सबक

1967 का यह चुनाव इस बात का प्रतीक बना कि भारतीय लोकतंत्र में कोई भी पार्टी स्थायी रूप से सत्ता में नहीं रह सकती। यह वही दौर था जब क्षेत्रीय और गठबंधन राजनीति ने आकार लेना शुरू किया और बिहार इसका सबसे बड़ा उदाहरण बना।

👉 यह चुनाव आज भी याद किया जाता है जब एक निर्दलीय उम्मीदवार ने इतिहास रचते हुए सत्ता की चोटी तक पहुंचकर पूरे देश को चौंका दिया।

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