बिहार की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय से सवालों के घेरे में रही है, लेकिन अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि विश्वविद्यालय और कॉलेज छात्रों के लिए शिक्षा मंदिर कम और दलाली का अड्डा ज्यादा बन चुके हैं। हाजीपुर वैशाली स्थित आर.एन. कॉलेज और उससे संबद्ध बिहार यूनिवर्सिटी की हालत तो और भी बदतर है। छात्र आरोप लगा रहे हैं कि यहां के स्टाफ और प्रशासन की मिलीभगत से दलाल सक्रिय हैं, जो मार्कशीट और अन्य शैक्षणिक दस्तावेज़ों के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं। स्नातक सत्र 2023-24 के पास हुए छात्रों को आज तक उनकी मार्कशीट नहीं मिली है। नतीजा यह है कि छात्र अपने करियर और भविष्य को लेकर असमंजस में हैं।
1. बिहार में उच्च शिक्षा की मौजूदा तस्वीर
बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। यहां की यूनिवर्सिटीज़ और कॉलेज वर्षों से अनियमितताओं और लापरवाहियों के लिए कुख्यात रहे हैं। शिक्षक और कर्मचारियों की कमी, पुराने ढांचे, पाठ्यक्रम में देरी और परीक्षा परिणामों की गड़बड़ी ने राज्य के छात्रों को हमेशा परेशान किया है। खासकर, बिहार यूनिवर्सिटी मुज़फ्फरपुर जैसे बड़े संस्थानों में हालात और भी गंभीर बताए जाते हैं। छात्रों का कहना है कि पढ़ाई की गुणवत्ता पर तो सवाल है ही, प्रशासनिक कामकाज में भी पारदर्शिता नहीं है। यही कारण है कि पढ़ाई के लिए छात्र बिहार से बाहर पलायन करने पर मजबूर होते हैं।
2. आर.एन. कॉलेज हाजीपुर , वैशाली की बदहाल स्थिति
आर.एन. कॉलेज, बिहार यूनिवर्सिटी का एक प्रमुख कॉलेज है। लेकिन इसकी स्थिति छात्रों की नजर में बेहद खराब है। यहां छात्रों का आरोप है कि कॉलेज के कर्मचारी और स्टाफ उनकी समस्याओं का समाधान करने की बजाय उनके साथ बदसलूकी करते हैं। जब छात्र किसी दस्तावेज़ जैसे कि सर्टिफिकेट या मार्कशीट के लिए जाते हैं तो उन्हें बार-बार इधर-उधर दौड़ाया जाता है। यूनिवर्सिटी का हवाला देकर कॉलेज अपना पल्ला झाड़ लेता है और कॉलेज का काम विश्वविद्यालय पर डाल दिया जाता है। इस तरह छात्र मानसिक और आर्थिक दोनों रूप से परेशान होते हैं।
3. स्नातक 2023-24 के छात्रों की सबसे बड़ी समस्या
सत्र 2023-24 के स्नातक छात्रों की सबसे बड़ी समस्या उनकी मार्कशीट को लेकर है। परीक्षा पास करने के महीनों बाद भी उन्हें अब तक मार्कशीट उपलब्ध नहीं कराई गई है। इस वजह से वे न तो आगे किसी उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में दाखिला ले पा रहे हैं और न ही प्रतियोगी परीक्षाओं या नौकरी के लिए आवेदन कर पा रहे हैं। छात्र बार-बार कॉलेज और यूनिवर्सिटी के चक्कर काटते हैं, लेकिन हर जगह से उन्हें सिर्फ़ टालमटोल का जवाब मिलता है। यह स्थिति साफ दर्शाती है कि शिक्षा प्रशासन की गंभीर लापरवाही छात्रों के भविष्य को अंधेरे में धकेल रही है।
4. दलालों का बोलबाला और वसूली का खेल
बिहार यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में दलालों का नेटवर्क सक्रिय है। छात्रों का आरोप है कि मार्कशीट, ट्रांसक्रिप्ट या अन्य जरूरी दस्तावेज़ दिलाने के नाम पर ये दलाल मोटी रकम मांगते हैं। कई बार छात्रों को जानबूझकर परेशान किया जाता है ताकि वे मजबूरी में दलालों से संपर्क करें। आर.एन. कॉलेज और यूनिवर्सिटी प्रशासन की इस दलालगिरी में मिलीभगत होने के आरोप गंभीर सवाल खड़े करते हैं। छात्रों का कहना है कि 2000-5000 रुपये तक की रकम वसूलकर मार्कशीट उपलब्ध कराई जाती है। इससे स्पष्ट होता है कि शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है।
5. छात्रों का दर्द और मजबूरी
बिना मार्कशीट के छात्र पूरी तरह असहाय हो गए हैं। जिन छात्रों ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की है, वे आवेदन तक नहीं कर पा रहे हैं। कई छात्रों को बाहरी राज्यों में दाखिला लेने से रोक दिया गया है क्योंकि उनके पास स्नातक की वैध मार्कशीट नहीं है। यह स्थिति छात्रों को मानसिक तनाव में डाल रही है। कई छात्र कहते हैं कि उनके परिवार वालों ने लाखों रुपये खर्च कर शिक्षा दिलाई, लेकिन अब वे दलालों के चक्कर में फंसकर अपने भविष्य को बर्बाद होते देख रहे हैं।
6. बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर गहरा सवाल
जब उच्च शिक्षा संस्थान ही छात्रों को लूटने का जरिया बन जाएं तो राज्य के भविष्य की क्या गारंटी बचेगी? बिहार यूनिवर्सिटी और उसके कॉलेजों की यह स्थिति पूरे शिक्षा तंत्र की पोल खोलती है। पहले से ही यहां की शिक्षा पर सवाल उठते रहे हैं—कम से कम कक्षाएं, अधूरी परीक्षाएं और वर्षों तक लंबित रहने वाले परिणाम। अब दलाली और भ्रष्टाचार ने छात्रों के भविष्य को पूरी तरह दांव पर लगा दिया है। यह स्थिति न केवल शिक्षा व्यवस्था बल्कि समाज और प्रशासन दोनों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
7. सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन की चुप्पी
सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस पूरे प्रकरण पर सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह चुप है। न तो कोई जांच बैठाई जा रही है और न ही जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई हो रही है। छात्रों का कहना है कि कई बार उन्होंने कॉलेज और यूनिवर्सिटी में शिकायत की, लेकिन हर बार उन्हें निराशा हाथ लगी। यह चुप्पी कहीं न कहीं यह संकेत देती है कि ऊपर से लेकर नीचे तक पूरा सिस्टम इस गड़बड़ी में शामिल है। अगर सरकार और प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाया तो स्थिति और विकराल हो सकती है।
8. छात्रों की आवाज और मांग
छात्र अब संगठित होकर अपनी मांगें उठा रहे हैं। वे चाहते हैं कि बिहार यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े कॉलेजों की कार्यप्रणाली की स्वतंत्र जांच हो। साथ ही, दलालों पर कार्रवाई की जाए और जो कर्मचारी इसमें शामिल पाए जाएं उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाए। छात्रों की प्रमुख मांग है कि उन्हें बिना किसी देरी के मार्कशीट और अन्य दस्तावेज़ उपलब्ध कराए जाएं। यह केवल व्यक्तिगत छात्रों का मामला नहीं है, बल्कि पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था की साख का सवाल है।
9. सामाजिक और राजनीतिक असर
बिहार में युवाओं की यह पीड़ा सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं रहती। यह समाज और राजनीति दोनों को प्रभावित करती है। जब छात्र अपने अधिकारों के लिए ही कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भटकते रहें, तो उनमें गुस्सा और निराशा पनपना स्वाभाविक है। यही कारण है कि बिहार के लाखों छात्र पढ़ाई और नौकरी के लिए पलायन करते हैं। इस स्थिति से राज्य का विकास प्रभावित होता है और सामाजिक असमानता गहराती है। राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर सिर्फ़ बयानबाज़ी करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं हो रहा है।
10. निष्कर्ष: कब सुधरेगी स्थिति?
आर.एन. कॉलेज मुज़फ्फरपुर और बिहार यूनिवर्सिटी की स्थिति शिक्षा व्यवस्था के लिए एक कलंक है। छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है और प्रशासनिक उदासीनता ने इसे और गंभीर बना दिया है। सरकार और विश्वविद्यालय अगर अब भी नहीं जागे तो आने वाले समय में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगी। दलाली और भ्रष्टाचार का यह खेल तभी रुकेगा, जब सख्त कार्रवाई होगी और छात्रों को उनका हक बिना किसी बाधा के मिलेगा। बिहार की शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए यह कदम तुरंत उठाना जरूरी है।
महत्वपूर्ण आँकड़े (Stats)
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बिहार यूनिवर्सिटी, मुज़फ्फरपुर के अधीन 39 से अधिक कॉलेज संचालित।
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स्नातक सत्र 2023-24 के हजारों छात्र अब तक मार्कशीट से वंचित।
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छात्रों के आरोप: मार्कशीट दिलाने के नाम पर 2000-5000 रुपये तक की वसूली।
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शिकायतों के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार की चुप्पी।
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शिक्षा व्यवस्था पर सवालों के कारण हर साल लाखों छात्र बिहार से बाहर पलायन करते हैं।

