बिहार की राजधानी पटना शुक्रवार को एक बार फिर शिक्षक अभ्यर्थियों के गुस्से का गवाह बनी। TRE-4 भर्ती प्रक्रिया को लेकर नाराज़ अभ्यर्थियों ने पटना कॉलेज से मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करने की कोशिश की। छात्रों का आरोप है कि सरकार ने पहले लाखों पदों पर नियुक्ति का वादा किया था, लेकिन अब महज़ 26,001 पदों की घोषणा कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस प्रदर्शन में पुलिस-प्रशासन को अलर्ट मोड पर रहना पड़ा। बेरोज़गारी की समस्या और अधूरी भर्ती प्रक्रिया बिहार में युवाओं का सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है।
1. पटना कॉलेज से निकला गुस्से का सैलाब
शुक्रवार को पटना कॉलेज परिसर में हजारों अभ्यर्थी जमा हुए। हाथों में तख्तियां और बैनर लिए ये अभ्यर्थी नारेबाजी करते हुए सीएम आवास की ओर बढ़े। उनकी एक ही मांग थी—सरकार तुरंत और बड़े पैमाने पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करे। सरकार द्वारा दिए गए वादों और मौजूदा हकीकत के बीच की खाई ने छात्रों को सड़क पर उतरने पर मजबूर कर दिया। पैदल मार्च का मकसद था मुख्यमंत्री तक सीधे संदेश पहुँचाना कि अब और इंतजार बर्दाश्त नहीं। अभ्यर्थियों के चेहरे पर गुस्सा और निराशा साफ़ झलक रही थी।
2. बड़े वादों से छोटे ऐलान तक का सफर
अभ्यर्थियों का सबसे बड़ा गुस्सा सरकार के बदले रुख पर है। चुनावी वादों और कई बयानों में कहा गया था कि राज्य में 1 लाख से ज्यादा पदों पर नियुक्ति होगी। लेकिन हाल ही में शिक्षा मंत्री ने घोषणा की कि फिलहाल सिर्फ़ 26,001 पदों पर ही भर्ती की जाएगी। यह ऐलान छात्रों को धोखे जैसा लगा। वे पूछ रहे हैं कि अगर सरकार ने पहले लाखों पदों का वादा किया था, तो अब अचानक संख्या इतनी क्यों घटा दी गई। छात्रों का मानना है कि सरकार युवाओं की उम्मीदों से खिलवाड़ कर रही है।
3. पुलिस-प्रशासन की कड़ी चौकसी
पटना की सड़कों पर शुक्रवार को पुलिस-प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में था। डाकबंगला चौराहा, जेपी गोलंबर और सीएम आवास जाने वाले मार्ग पर बैरिकेडिंग की गई। बड़ी संख्या में पुलिस बल और दंगा नियंत्रण वाहन तैनात किए गए थे। प्रशासन को डर था कि कहीं हालात बिगड़ न जाएं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए कई जगह घेरा बनाया। हालांकि छात्रों ने शांतिपूर्ण मार्च का दावा किया, लेकिन पुलिस की भारी मौजूदगी ने पूरे इलाके को छावनी जैसा बना दिया।
4. TRE-4 परीक्षा की तारीखें और संदेह
सरकार ने TRE-4 परीक्षा की तारीखें घोषित कर दी हैं। यह परीक्षा 16 से 19 दिसंबर 2025 तक होगी और नतीजे 20 से 26 जनवरी 2026 के बीच जारी होंगे। बावजूद इसके अभ्यर्थियों में भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि परीक्षा हो भी जाए तो नियुक्ति प्रक्रिया लंबी खिंच जाएगी। पहले भी कई बार देखा गया है कि परीक्षा के बाद रिजल्ट आने में महीनों लगते हैं और फिर कोर्ट केस व अन्य कारणों से नियुक्ति अधर में लटक जाती है। इसीलिए छात्रों को लगता है कि सरकार सिर्फ़ तारीख़ों की घोषणा कर युवाओं का गुस्सा शांत करना चाहती है।
5. 9 सितंबर की याद और पुलिस कार्रवाई
अभ्यर्थियों का यह प्रदर्शन नया नहीं है। इससे पहले 9 सितंबर को भी पटना की सड़कों पर इसी तरह का गुस्सा देखा गया था। उस समय पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था। कई छात्र घायल हुए और कई को हिरासत में लिया गया। उस घटना ने युवाओं के मन में और गुस्सा भर दिया। इस बार छात्र संगठित होकर और ज्यादा तैयारी के साथ पटना पहुंचे। उनका कहना है कि पिछली बार की तरह पुलिस कार्रवाई से वे डरने वाले नहीं।
6. बेरोज़गारी का बोझ
बिहार में बेरोज़गारी लंबे समय से एक गंभीर समस्या है। लाखों युवा पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के बाद भी नौकरी के लिए भटक रहे हैं। कई अभ्यर्थियों का कहना है कि उनकी उम्र निकल रही है लेकिन सरकार समय पर भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं करती। TRE-4 जैसे मौके पर जब उम्मीदें बढ़ीं, तो अचानक पदों की संख्या घटाने से युवाओं का भरोसा टूट गया। छात्रों का यह भी कहना है कि बेरोज़गारी न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक रूप से भी युवाओं को तोड़ रही है।
7. युवाओं की मुख्य मांगें
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों ने साफ़ कहा कि उनकी मांगें बहुत स्पष्ट हैं। पहली, भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और तेज़ होनी चाहिए। दूसरी, नियुक्ति के लिए ज्यादा से ज्यादा पदों की घोषणा होनी चाहिए। तीसरी, परीक्षा और नियुक्ति के बीच का अंतर कम होना चाहिए ताकि युवाओं का भविष्य अधर में न लटके। चौथी, भर्ती प्रक्रिया में किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप या देरी नहीं होनी चाहिए। छात्रों ने यह भी चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।
8. सोशल मीडिया पर गूंज
यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ़ पटना की सड़कों तक सीमित नहीं रहा। ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर छात्रों ने अपनी तस्वीरें और वीडियो साझा किए। कई छात्र संगठनों ने इस आंदोलन को युवाओं की हक़ की लड़ाई बताया। #TRE4Protest और #BiharTeachersRecruitment जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। सोशल मीडिया पर कई लोग सरकार को घेरते दिखे, वहीं कुछ ने छात्रों की मांग को जायज़ ठहराया। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ने आंदोलन को और मजबूत बनाने का काम किया।
9. सरकार की सफाई
शिक्षा मंत्री और प्रशासन की ओर से बयान जारी किया गया कि 26,001 पद वही हैं जो वर्तमान में वास्तव में खाली हैं। उनका कहना है कि सरकार झूठे वादे नहीं करना चाहती। जैसे-जैसे और पद खाली होंगे, वैसे-वैसे नई भर्ती प्रक्रिया चलाई जाएगी। सरकार का तर्क है कि जल्दबाज़ी में नियुक्ति करने से क्वालिटी पर असर पड़ सकता है। हालांकि छात्रों का कहना है कि सरकार का यह बयान सिर्फ़ बहाना है और युवाओं को बरगलाने की कोशिश है।
10. निष्कर्ष: युवाओं की लड़ाई जारी
पटना का यह आंदोलन साफ़ दिखाता है कि बेरोज़गारी और अधूरी भर्ती प्रक्रिया बिहार में बड़ा मुद्दा बन चुका है। सरकार को यह समझना होगा कि युवाओं की उम्मीदों से खिलवाड़ अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि समय पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं की गई और बड़े पैमाने पर नौकरी नहीं निकाली गई, तो आने वाले दिनों में विरोध और भी व्यापक हो सकता है। यह सिर्फ़ नौकरी की नहीं, बल्कि युवाओं के भविष्य की लड़ाई है।
महत्वपूर्ण आँकड़े (Stats)
- TRE-4 परीक्षा: 16 से 19 दिसंबर 2025
- परिणाम जारी: 20 से 26 जनवरी 2026
- घोषित पद: 26,001
- पहले दावा किए गए पद: 1 लाख+
- पिछला बड़ा विरोध: 9 सितंबर 2025
- बेरोज़गार अभ्यर्थियों की संख्या (अनुमान): 10 लाख+
