Bihar Election 2025: 2 से 12 अक्टूबर के बीच बज सकता है चुनावी बिगुल, जानें चुनाव आयोग की तैयारी और राजनीतिक समीकरण

Sanskriti Vani
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: 2 से 12 अक्टूबर के बीच बज सकता है चुनावी बिगुल, चुनाव आयोग की टीम जल्द करेगी दौरा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का इंतज़ार चरम पर है। सूत्रों के मुताबिक, 2 से 12 अक्टूबर के बीच चुनावी बिगुल बज सकता है और चुनाव आयोग की पूरी टीम बिहार का दौरा कर सकती है। विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को पूरा होना है, ऐसे में आयोग को उससे पहले चुनाव कराना ज़रूरी है। इस बार मतदाता सूची संशोधन, त्योहारों का कैलेंडर, और राजनीतिक दलों की तैयारियों को देखते हुए पूरा चुनावी परिदृश्य बेहद दिलचस्प बन गया है। बिहार की राजनीति हमेशा से राष्ट्रीय स्तर पर अहमियत रखती है, और इस बार भी हर पार्टी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटी है। आइए जानते हैं चुनाव आयोग की प्लानिंग, राजनीतिक समीकरण और मतदाता का मूड—



1. बिहार में कब बजेगा चुनावी बिगुल?

चुनाव आयोग ने संकेत दिए हैं कि 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद कभी भी चुनाव की घोषणा हो सकती है। यही वजह है कि 2 से 12 अक्टूबर के बीच आयोग के औपचारिक दौरे और बिगुल बजने की अटकलें तेज़ हैं।

  • विधानसभा का कार्यकाल: 22 नवंबर 2025 तक
  • अनुमानित मतदान अवधि: अक्टूबर मध्य से नवंबर प्रथम सप्ताह तक
  • प्रमुख त्योहार: दशहरा, दिवाली और छठ पूजा
    यानी आयोग को अपने कार्यक्रम को धार्मिक और सामाजिक आयोजनों के साथ संतुलित करना होगा।

2. चुनाव आयोग की तैयारियाँ और टीम का दौरा

सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग की पूरी बेंच जल्द ही बिहार का दौरा करने वाली है। यह दौरा दो कारणों से अहम है:

  1. सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा – बिहार में नक्सल प्रभावित और संवेदनशील सीटें हमेशा से चुनौती रही हैं।
  2. प्रशासनिक तैयारियाँ – बूथों की संख्या, ईवीएम और वीवीपैट की उपलब्धता, और कर्मचारियों की नियुक्ति पर फाइनल निर्णय।
    चुनाव आयोग का यह दौरा ही वास्तविक संकेत होगा कि घोषणा अब नज़दीक है।

3. त्योहार और चुनावी समय-सारणी की चुनौती

बिहार में चुनाव कराना अपने आप में कठिन काम है क्योंकि यहाँ त्योहारों का कैलेंडर चुनाव पर सीधा असर डालता है

  • दशहरा और दिवाली के दौरान गाँव से लेकर शहर तक लोग उत्सव में डूबे रहते हैं।
  • छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा त्योहार है और लाखों लोग अपने गृह जिलों में लौटते हैं।
    ऐसे में आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदान तिथियाँ त्योहारों से टकराएँ नहीं। यही वजह है कि चुनावी शेड्यूल को लेकर कई अनुमान लगाए जा रहे हैं।

4. राजनीतिक दलों की तैयारी

बिहार में इस बार चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है क्योंकि तीन बड़े गठबंधन मैदान में हैं:

  • एनडीए (NDA) – बीजेपी और जेडीयू (मुख्य धुरी)
  • महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल)
  • तीसरा मोर्चा – एआईएमआईएम, छोटे दल और स्वतंत्र प्रत्याशी
    हर दल अपनी रैलियों और जनसभाओं में जुट चुका है।
  • बीजेपी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुँचा रही है।
  • आरजेडी जातीय समीकरण और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर आक्रामक है।
  • जेडीयू नीतीश कुमार के विकास मॉडल और स्थिर शासन पर वोट माँग रही है।

5. नीतीश कुमार का भविष्य

बिहार चुनाव का सबसे बड़ा सवाल है – क्या नीतीश कुमार फिर से सत्ता में लौटेंगे?

  • नीतीश लंबे समय से बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं।
  • उनके नेतृत्व पर विरोधी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं।
  • जेडीयू और बीजेपी का तालमेल कितना मज़बूत रहेगा, यह चुनाव में बड़ा फैक्टर होगा।

6. लालू यादव और आरजेडी की रणनीति

लालू यादव भले स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति में पूरी तरह मौजूद न हों, लेकिन उनकी विरासत और आरजेडी का वोट बैंक अभी भी मज़बूत है।

  • तेजस्वी यादव बेरोजगारी, शिक्षा और नौकरी को मुद्दा बनाकर युवाओं को आकर्षित करने में लगे हैं।
  • आरजेडी ग्रामीण इलाकों में अभी भी बड़ा प्रभाव रखती है।
  • मुसलमान-यादव (MY) समीकरण पार्टी की रीढ़ है, जिसे बनाए रखना अहम होगा।

7. बीजेपी का दांव और राष्ट्रीय राजनीति

बीजेपी के लिए बिहार सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति का अहम केंद्र है।

  • केंद्र सरकार की योजनाएँ: आवास योजना, मुफ्त राशन, महिला सशक्तिकरण योजनाएँ
  • बीजेपी का फोकस – विकास और हिंदुत्व दोनों मुद्दों पर रहेगा।
  • पार्टी यह दिखाना चाहती है कि “डबल इंजन सरकार” से ही विकास संभव है।

8. मतदाता समीकरण और कास्ट पॉलिटिक्स

बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों पर टिकी रहती है।

  • यादव, कुर्मी, भूमिहार, राजपूत, दलित और मुसलमान—ये सभी वोट बैंक निर्णायक साबित होते हैं।
  • इस बार युवा मतदाता और महिला वोटर भी खेल बदल सकते हैं।
  • 2020 के चुनाव में महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक थी।

9. सुरक्षा, तकनीक और पारदर्शिता

  • इस बार चुनाव आयोग 100% वीवीपैट और डिजिटल मॉनिटरिंग का इस्तेमाल करेगा।
  • सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और अफवाहों को रोकने के लिए विशेष सेल बनाए जाएँगे।
  • संवेदनशील सीटों पर केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ाई जाएगी।

10. निष्कर्ष – क्यों खास है बिहार चुनाव 2025

बिहार विधानसभा चुनाव सिर्फ सत्ता की जंग नहीं, बल्कि देश की राजनीति का भविष्य तय करने वाला रण होगा।

  • यह चुनाव तय करेगा कि बिहार में नीतीश कुमार का दौर जारी रहेगा या आरजेडी सत्ता में वापसी करेगी।
  • बीजेपी के लिए यह चुनाव 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले की बड़ी परीक्षा है।
  • मतदाता ही अंततः तय करेंगे कि कौन सा दल बिहार को विकास, रोजगार और स्थिरता दे सकता है।

📊 महत्वपूर्ण आँकड़े (स्टैट्स)

  • कुल विधानसभा सीटें – 243
  • मतदाता संख्या (अनुमानित 2025) – लगभग 8.5 करोड़
  • महिला मतदाता प्रतिशत – 48% से अधिक
  • युवा मतदाता (18–29 वर्ष आयु वर्ग) – 22%
  • पिछला परिणाम (2020 चुनाव)
    • एनडीए: 125 सीटें
    • महागठबंधन: 110 सीटें
    • अन्य: 8 सीटें



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