बिहार वोटर लिस्ट पर बवाल: 67,826 डुप्लीकेट नामों का दावा झूठा!

Sanskriti Vani
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‘सोरोस फंडेड पत्रकारों’ ने फैलाया फेक नैरेटिव, चुनाव आयोग ने किया पर्दाफाश

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर अफवाहों का जाल बिछा।
कुछ पत्रकारों ने दावा किया—वोटर लिस्ट में 67,826 नाम दोहराए गए!

लेकिन हकीकत सामने आते ही सारा खेल बेनकाब हो गया।




चुनाव आयोग की सफाई

  • यह लिस्ट ड्राफ्ट रोल है, फाइनल नहीं।

  • ड्राफ्ट में गलतियाँ होना सामान्य है।

  • जनता की आपत्तियों और सुधारों के बाद ही फाइनल लिस्ट जारी होगी।


फर्जी नैरेटिव की साजिश

  • आरोप: विदेशी फंडिंग से जुड़े पत्रकारों ने फैलाई अफवाह।

  • सोरोस नेटवर्क पर पहले भी लोकतांत्रिक संस्थाओं को बदनाम करने के आरोप।

  • मकसद: जनता के बीच अविश्वास फैलाना और चुनावी प्रक्रिया पर शक पैदा करना।


सोशल मीडिया पर हड़कंप

  • ट्विटर-फेसबुक पर वायरल हुआ “67,826 डुप्लीकेट नाम” वाला दावा।

  • हज़ारों यूजर्स ने बिना तथ्य जांचे शेयर किया।

  • चुनाव आयोग की त्वरित प्रतिक्रिया से फैली अफवाह पर लगाम लगी।


जनता से अपील

  • अपने नाम और डिटेल्स की जाँच करें।

  • कोई गड़बड़ी मिले तो तुरंत शिकायत दर्ज कराएँ।

  • आयोग हर साल रिवीजन कर मृतकों के नाम हटाता और नए नाम जोड़ता है।


नतीजा

➡️ 67,826 नामों का दावा फेक न्यूज़ निकला।
➡️ चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाना बेबुनियाद साबित हुआ।
➡️ यह पूरा विवाद—प्रोपेगेंडा, सच्चाई नहीं

🎯 TAGLINE (एंकर क्लोजिंग):

“तो दर्शकों… याद रखिए—सच्चाई और प्रोपेगेंडा में फर्क समझना ज़रूरी है। चुनाव आयोग ने एक बार फिर साबित किया है कि लोकतंत्र पर विश्वास ही सबसे बड़ी ताकत है।”

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