SCO में भारत की कूटनीतिक जीत: साझा घोषणापत्र में पहलगाम हमले की निंदा और पीएम मोदी की पहलों की सराहना

Sanskriti Vani
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 सहयोग संगठन (SCO) का हालिया शिखर सम्मेलन भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि साबित हुआ। इस बैठक में सभी सदस्य देशों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति का समर्थन किया। साझा घोषणापत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहलों की खुलकर सराहना की गई, जिनमें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी रणनीतियाँ शामिल हैं। पाकिस्तान को अलग-थलग करने और वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को मजबूत बनाने में यह सम्मेलन अहम मोड़ माना जा रहा है।




1. SCO सम्मेलन का महत्व और भारत की भूमिका

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एशिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय समूह है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान और मध्य एशिया के देश शामिल हैं। इस मंच की अहमियत इसलिए भी है क्योंकि यह सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और आतंकवाद विरोध जैसे बड़े मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण तैयार करता है। भारत ने इस संगठन की सदस्यता लेने के बाद से लगातार यह प्रयास किया है कि SCO केवल औपचारिक बैठकें करने का मंच न रहकर, ठोस नीतियों और निर्णयों का मंच बने। इस साल हुए सम्मेलन में भारत ने अपने मजबूत नेतृत्व और साफ-सुथरे एजेंडे के माध्यम से संगठन को नई दिशा देने का काम किया।


2. पहलगाम हमले की निंदा: भारत की कूटनीतिक सफलता

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। SCO सम्मेलन में भारत ने इस हमले का मुद्दा उठाया और सदस्य देशों को यह विश्वास दिलाने में सफलता पाई कि आतंकवाद सिर्फ किसी एक देश की समस्या नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता और विकास के लिए खतरा है। नतीजतन, साझा घोषणापत्र में सभी देशों ने एक स्वर में इस हमले की निंदा की। खास बात यह रही कि पाकिस्तान भी इस निंदा में शामिल होने को मजबूर हुआ। यह भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत थी, क्योंकि इससे पहले कई बार पाकिस्तान आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर गोलमोल रवैया अपनाता रहा है।


3. पीएम मोदी की पहलों की सराहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में कई अहम पहल रखीं जिनमें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, हरित ऊर्जा (Green Energy), स्टार्टअप सहयोग, आतंकवाद विरोधी रणनीति और व्यापारिक कनेक्टिविटी प्रमुख रही। SCO के सदस्य देशों ने इन पहलों की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने जो मॉडल प्रस्तुत किया है, वह अन्य देशों के लिए भी आदर्श बन सकता है। विशेषकर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे UPI और आधार) को कई देशों ने अपनाने की इच्छा जताई। इससे यह संदेश गया कि भारत अब सिर्फ विचार रखने वाला देश नहीं, बल्कि समाधान देने वाला देश बन चुका है।


4. आतंकवाद पर वैश्विक सहमति बनाने में भारत की भूमिका

भारत लंबे समय से आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाता रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मेलन में स्पष्ट कहा कि आतंकवाद किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और किसी भी देश द्वारा आतंकवाद को शह देना पूरे क्षेत्र के लिए घातक है। भारत का यह दृष्टिकोण अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता पा रहा है। SCO के साझा घोषणापत्र में आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश जाने से यह साफ है कि भारत ने वैश्विक सहमति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।


5. पाकिस्तान की मुश्किलें और भारत की बढ़त

सम्मेलन का एक बड़ा पहलू यह रहा कि पाकिस्तान इस बार भी भारत के एजेंडे के सामने कमजोर साबित हुआ। जहां भारत ने आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया, वहीं पाकिस्तान के पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं था। उल्टा उसे भी इस हमले की निंदा करनी पड़ी। इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि कमजोर हुई और भारत की स्थिति और मजबूत हो गई। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह भारत की कूटनीति का हिस्सा है, जिसके तहत पाकिस्तान को लगातार अलग-थलग किया जा रहा है।


6. ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर भारत की दृष्टि

भारत ने SCO मंच पर ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी अपनी नीति स्पष्ट की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बढ़ती वैश्विक मांग को देखते हुए ऊर्जा संसाधनों का साझा उपयोग और आपसी सहयोग बेहद जरूरी है। भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) पर जोर देते हुए सौर और हाइड्रोजन एनर्जी के क्षेत्र में अपने अनुभव साझा किए। साथ ही आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत ने “मेक इन इंडिया” और “स्टार्टअप इंडिया” जैसे कार्यक्रमों को अन्य देशों से जोड़ने का प्रस्ताव रखा। इससे भारत की छवि एक विकासशील और जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में और मजबूत हुई।


7. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत का मॉडल

SCO सम्मेलन में भारत का सबसे चर्चित एजेंडा डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रहा। मोदी ने बताया कि कैसे भारत ने UPI, आधार और डिजिलॉकर जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए करोड़ों लोगों को सीधे डिजिटल अर्थव्यवस्था से जोड़ा है। कई देशों ने इस मॉडल को अपने यहां अपनाने में रुचि दिखाई। इससे भारत की तकनीकी क्षमता और डिजिटल नेतृत्व की पहचान मजबूत हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में SCO देशों के बीच भारत के डिजिटल मॉडल की मांग और बढ़ेगी।


8. पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर भारत की पहल

भारत ने सम्मेलन में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर भी अपने विचार रखे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण अब केवल विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता बन गए हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और मिशन लाइफ (LIFE: Lifestyle for Environment) जैसी पहलों का जिक्र करते हुए SCO देशों से इसमें भाग लेने की अपील की। इससे यह संदेश गया कि भारत न केवल आर्थिक और सुरक्षा मामलों पर बल्कि पर्यावरणीय मुद्दों पर भी वैश्विक नेतृत्व कर रहा है।


9. क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी

सम्मेलन में भारत ने क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बिना बेहतर संपर्क के किसी भी क्षेत्र का विकास संभव नहीं है। भारत ने “चाबहार पोर्ट” और “इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर” जैसे प्रोजेक्ट्स का जिक्र करते हुए SCO देशों को इसमें साझेदारी के लिए आमंत्रित किया। इससे साफ है कि भारत केवल अपनी सीमाओं तक सीमित सोच नहीं रखता बल्कि पूरे क्षेत्र की प्रगति में योगदान देना चाहता है।


10. भारत की कूटनीतिक जीत और आगे की राह

SCO का यह सम्मेलन भारत की कूटनीतिक ताकत का प्रमाण है। आतंकवाद पर साझा निंदा से लेकर पीएम मोदी की पहलों की सराहना तक, हर स्तर पर भारत की छवि मजबूत हुई। पाकिस्तान को अलग-थलग करने और रूस-चीन जैसे बड़े देशों को अपनी नीतियों से सहमत कराने में भारत सफल रहा। आगे चलकर SCO भारत के लिए और भी बड़े अवसर लेकर आएगा, खासकर ऊर्जा, डिजिटल सहयोग और व्यापार के क्षेत्र में। यह सम्मेलन न केवल भारत के लिए कूटनीतिक जीत है बल्कि पूरे एशियाई क्षेत्र के लिए नई दिशा तय करने वाला साबित हुआ है।


महत्वपूर्ण आँकड़े (Stats)

  • SCO सदस्य देश: भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान।

  • कुल जनसंख्या: लगभग 3.2 अरब लोग (दुनिया की 40% आबादी)।

  • कुल GDP: लगभग 23 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर।

  • भारत की पहलें: डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रीन एनर्जी, स्टार्टअप सहयोग, मिशन लाइफ।

  • मुख्य उपलब्धि: पहलगाम आतंकी हमले की निंदा, आतंकवाद पर साझा सहमति।

  • पाकिस्तान की स्थिति: भारत के एजेंडे के सामने कमजोर, अलग-थलग।



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