अमेरिका में स्वामीनारायण संस्था (BAPS) पर आरोपों की जाँच समाप्त – आरोप फर्जी निकले

Sanskriti Vani
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अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर (BAPS) पर 2021 में मजदूरों के शोषण और जातिगत भेदभाव जैसे गंभीर आरोप लगे थे। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने तीन साल तक गहन जाँच की। हाल ही में यह जाँच बंद कर दी गई क्योंकि पर्याप्त सबूत नहीं मिले। BAPS ने इस निर्णय का स्वागत किया और कहा कि आरोप हिंदू समुदाय को बदनाम करने की कोशिश थे। यह घटना न केवल हिंदू धार्मिक संस्थाओं के लिए बल्कि प्रवासी भारतीय समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। आइए विस्तार से समझते हैं कि मामला क्या था, आरोप कैसे लगे और इस पूरे प्रकरण से क्या संदेश मिलता है।




1. आरोपों की पृष्ठभूमि

1.1 आरोप कैसे लगे

2021 में न्यू जर्सी के रॉबिन्सविल में स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर के निर्माण में लगे भारतीय मजदूरों ने अमेरिकी अदालत में याचिका दायर की।

1.2 आरोपों की प्रकृति

इन मजदूरों का आरोप था कि उन्हें झूठे वादों के साथ बुलाया गया, पासपोर्ट ज़ब्त कर लिये गए, न्यूनतम वेतन से भी कम भुगतान किया गया और जातिगत भेदभाव हुआ।


2. अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) की भूमिका

2.1 जांच की शुरुआत

अमेरिकी कानून के तहत मानवाधिकार उल्लंघन पर DOJ ने तुरंत कार्रवाई की।

2.2 जांच की प्रक्रिया

मजदूरों के बयान, वेतन रिकॉर्ड, पासपोर्ट, वीज़ा दस्तावेज और मंदिर प्रशासन की फाइलें खंगाली गईं।


3. आरोपों के कानूनी पहलू

3.1 लागू कानून

Fair Labor Standards Act, Human Trafficking Victims Protection Act, Civil Rights Act आदि का हवाला दिया गया।

3.2 अदालत की कार्यवाही

अदालत में कई बार सुनवाई हुई, बयान दर्ज किए गए और दस्तावेज पेश किए गए।


4. BAPS का पक्ष और प्रतिक्रियाएँ

4.1 संस्था का बयान

BAPS ने कहा कि मंदिर सेवा, भक्ति और समर्पण से बना है, और सभी मजदूरों को उचित सुविधाएँ दी गईं।

4.2 आरोपों पर प्रतिक्रिया

स्वामी ब्रह्मविहारिदास ने कहा कि “कुछ लोगों ने राजनीतिक कारणों से हिंदू संस्था को निशाना बनाया।”


5. जाँच के परिणाम

5.1 DOJ की घोषणा

सितंबर 2025 में DOJ ने औपचारिक रूप से घोषणा की कि BAPS पर आरोपों की जाँच बंद की जा रही है।

5.2 आगे की संभावना

DOJ ने कहा कि यदि भविष्य में कोई नया सबूत सामने आता है, तो मामला दोबारा खोला जा सकता है।


6. प्रवासी भारतीय समाज में प्रभाव

6.1 समुदाय में चिंता

जाँच ने अमेरिकी हिंदू समुदाय और प्रवासी भारतीयों में चिंता पैदा कर दी थी।

6.2 राहत की भावना

जाँच बंद होने के बाद समुदाय में राहत है और कई संगठनों ने DOJ के फैसले का स्वागत किया।


7. मीडिया और सार्वजनिक धारणा

7.1 मीडिया कवरेज

2021 में जब आरोप लगे तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे बड़े पैमाने पर कवर किया।

7.2 धारणा में बदलाव

अब जब जाँच बंद हुई तो मीडिया में सकारात्मक खबरें सामने आईं।


8. धार्मिक स्वतंत्रता और कानून

8.1 कानून का दायरा

अमेरिका में सभी धार्मिक संस्थाएँ श्रम और मानवाधिकार कानूनों के दायरे में आती हैं।

8.2 सबूत आधारित निर्णय

यह साबित करता है कि आरोप लगने मात्र से कोई दोषी नहीं होता—सबूत और निष्पक्ष जाँच जरूरी है।


9. भविष्य की चुनौतियाँ और सबक

9.1 संस्थाओं के लिए सबक

विदेश में काम करते समय स्थानीय कानूनों और श्रम नियमों का पालन करना जरूरी है।

9.2 पारदर्शिता की आवश्यकता

मजदूरों और स्वयंसेवकों के दस्तावेज़ पारदर्शी रखें और स्पष्ट अनुबंध करें।


10. निष्कर्ष और व्यापक संदेश

10.1 घटना का महत्व

BAPS पर लगे आरोप और उनका खारिज होना प्रवासी भारतीय इतिहास की एक अहम घटना है।

10.2 भविष्य के लिए चेतावनी

संस्थाओं को पारदर्शिता, श्रम कानूनों का पालन और संचार की स्पष्टता बढ़ानी होगी।


महत्वपूर्ण आँकड़े (Key Stats)

विषय आँकड़ा / जानकारी
जाँच शुरू होने का वर्ष 2021
स्थान रॉबिन्सविल, न्यू जर्सी (USA)
संस्था Bochasanwasi Shri Akshar Purushottam Swaminarayan Sanstha (BAPS)
आरोप मजदूरों का शोषण, पासपोर्ट ज़ब्त, न्यूनतम वेतन का उल्लंघन, जातिगत भेदभाव
जाँच एजेंसी US Department of Justice (DOJ), US Attorney’s Office (New Jersey)
जाँच की अवधि लगभग 3 साल
निर्णय सबूत न मिलने पर जाँच बंद (सितंबर 2025)
BAPS का बयान “आरोप हिंदू समुदाय को बदनाम करने की कोशिश थे”
मीडिया प्रभाव शुरुआती कवरेज नकारात्मक; जाँच बंद होने पर सकारात्मक
मुख्य सबक पारदर्शिता, श्रम कानूनों का पालन और स्पष्ट अनुबंध आवश्यक


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