पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के शरणार्थियों को राहत
केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यक समुदायों को बिना पासपोर्ट भारत में रहने की अनुमति दी है।
किन समुदायों को मिलेगा फायदा?
इस फैसले से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोग लाभान्वित होंगे। ये वही लोग हैं, जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न के चलते अपने देश को छोड़ना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी।
पासपोर्ट की बाध्यता खत्म
पहले भारत में लंबे समय तक रहने और बसने के लिए पासपोर्ट जरूरी था। अब यह अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। यानी अब शरणार्थियों को दस्तावेज़ों की कमी की वजह से परेशानी नहीं होगी।
नागरिकता की राह आसान होगी
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की दिशा में एक और बड़ा कदम है। इससे भविष्य में इन शरणार्थियों को स्थायी नागरिकता मिलने का रास्ता और सरल होगा।
मानवीय दृष्टिकोण से बड़ा कदम
सरकार का यह फैसला न सिर्फ कानूनी राहत है बल्कि मानवीय पहल भी है। भारत ने एक बार फिर दुनिया को दिखाया है कि वह पीड़ित और शोषित लोगों को सुरक्षा देने में आगे है।
👉 यह कदम भारत की "सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास" की नीति को और मजबूत करता है।
