पंचायत और शहरी चुनाव होंगे एक साथ
जयपुर। राजस्थान में चुनावी व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है। अब पंचायत और शहरी निकाय चुनाव एक ही समय पर कराए जाएंगे। राज्य सरकार और चुनाव आयोग ने इसे वन स्टेट, वन इलेक्शन नाम दिया है।
क्यों लिया गया फैसला?
लगातार होने वाले अलग-अलग चुनावों से प्रशासनिक तंत्र और सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ रहा था। विकास कार्य भी बार-बार रुक जाते थे।
खर्च के आंकड़े
*2019 पंचायत चुनाव पर खर्च – करीब ₹600 करोड़
*2020 शहरी निकाय चुनाव पर खर्च – करीब ₹450 करोड़
👉 अलग-अलग चुनावों पर कुल बोझ – ₹1,050 करोड़
विशेषज्ञों के अनुसार, संयुक्त चुनाव से खर्च में 25–30% की बचत होगी।
विशेषज्ञों की राय
*डॉ. एस.पी. जांगिड़ (पूर्व चुनाव अधिकारी): “संयुक्त चुनाव से प्रशासनिक दबाव और सुरक्षा चुनौतियां कम होंगी।”
*प्रो. मीरा चौधरी (राजनीतिक विश्लेषक): “मतदाता को एक ही बार वोट डालने का मौका मिलेगा, जिससे मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है।”
विपक्ष और सत्ता पक्ष
*विपक्ष – “पंचायत और शहरी मुद्दे अलग-अलग हैं, उन्हें जोड़ना सही नहीं।”
*सत्तापक्ष – “यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाएगा।”
आगे का रास्ता
संभावना है कि अगले पंचायत और नगर निकाय चुनाव इसी नई व्यवस्था के तहत होंगे। चुनाव आयोग इसकी रूपरेखा तैयार कर रहा है।
