नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ बवाल

Sanskriti Vani
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पीएम केपी शर्मा ओली ने दिया इस्तीफा, तीन दिन के आंदोलन में 21 लोगों की मौत




भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन ने भड़काया गुस्सा

नेपाल में लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार और हाल ही में लगाए गए सोशल मीडिया बैन ने जनता को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया। युवाओं और छात्रों ने इसे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया।


तीन दिन का उथल-पुथल और हिंसा

राजधानी काठमांडू समेत कई बड़े शहरों में लगातार तीन दिनों तक प्रदर्शन हुए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों घायल हैं।


युवाओं की सबसे बड़ी भागीदारी

इस आंदोलन में युवाओं और छात्रों ने सबसे आगे रहकर भागीदारी की। सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध ने आंदोलन को और तेज़ कर दिया और देखते ही देखते यह देशव्यापी बवाल में बदल गया।


पीएम ओली का इस्तीफा

जनता के भारी दबाव और देशभर में फैले असंतोष को देखते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। उनके इस्तीफे के बाद नेपाल की राजनीति एक बार फिर अस्थिरता की ओर बढ़ती दिख रही है।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने नेपाल सरकार से संयम बरतने और जनता की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने की अपील की। कई संगठनों ने आंदोलन के दौरान हुई मौतों पर चिंता जताई है।


आगे की चुनौती

अब सवाल यह है कि नई सरकार किसके नेतृत्व में बनेगी और क्या वाकई भ्रष्टाचार पर काबू पाने व सोशल मीडिया पर लगी पाबंदी को हटाने जैसे ठोस कदम उठाए जाएंगे।


👉 नेपाल का यह आंदोलन युवाओं की ताक़त और लोकतंत्र की रक्षा के लिए जनता की एकजुटता का बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है।

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